The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 (BNS 2023) भारत का नया आपराधिक कोड है, जिसे 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली और यह 1 जुलाई, 2024 से लागू हुआ। यह कानून भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 को प्रतिस्थापित करता है।
मुख्य बातें:
- उद्देश्य: इस संहिता का मुख्य उद्देश्य अपराधों से संबंधित प्रावधानों को समेकित और संशोधित करना है। सरकार के अनुसार, यह Victim-centric दृष्टिकोण अपनाता है, जिसका अर्थ है कि यह पीड़ितों को न्याय दिलाने पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है, जबकि IPC मुख्य रूप से दंडात्मक था।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: BNS 2023, IPC को बदलने के लिए लाए गए तीन नए आपराधिक कानूनों में से एक है। अन्य दो हैं:
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (जो आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की जगह लेता है)।
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (जो भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह लेता है)।
- मुख्य विशेषताएं:
- नई परिभाषाएँ और अपराध: BNS में कुछ नए अपराधों को शामिल किया गया है, जैसे कि संगठित अपराध, आतंकवादी कृत्य और धोखे से यौन संबंध। कुछ मौजूदा अपराधों की परिभाषाओं को भी बदला गया है।
- सजा में बदलाव: कुछ अपराधों के लिए सजा को बढ़ाया गया है, जबकि कुछ छोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा को एक नए प्रकार की सजा के रूप में पेश किया गया है।
- महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर अधिक ध्यान: इस संहिता में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को प्राथमिकता दी गई है और उनसे संबंधित प्रावधानों को एक अलग अध्याय में समेकित किया गया है।
- राजद्रोह का अपराध: IPC में राजद्रोह (Sedition) का अपराध था, जिसे BNS में हटा दिया गया है। इसके स्थान पर, ऐसे कृत्यों को दंडित करने के लिए एक नया प्रावधान जोड़ा गया है जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालते हैं।
- साइबर अपराध: BNS में साइबर अपराध से संबंधित प्रावधानों को भी शामिल किया गया है, जो आधुनिक समय की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण है।
- मॉब लिंचिंग: BNS में जाति, नस्ल, लिंग, भाषा आदि के आधार पर पांच या अधिक व्यक्तियों द्वारा की गई हत्या या गंभीर चोट को एक विशिष्ट अपराध के रूप में शामिल किया गया है।
संरचना:
भारतीय न्याय संहिता, 2023 में कुल 20 अध्याय और 358 धाराएँ हैं। IPC में 511 धाराएँ थीं, लेकिन BNS में प्रावधानों को अधिक सुव्यवस्थित और संक्षिप्त किया गया है।
महत्व:
BNS 2023 भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है। इसका उद्देश्य कानूनों को आधुनिक बनाना, पीड़ितों को अधिक महत्व देना और नए प्रकार के अपराधों से प्रभावी ढंग से निपटना है। यह कानून भारत में न्याय प्रशासन के लिए एक नया ढांचा प्रदान करता है।